जब जीना अच्छा लगता था, कब जीना अच्छा लगता है, जब बेमतलब के कामों में उलझे रहे, जब दुनियाँ की उलझन में उलझे रहे, कब हँसना अच्छा लगता है l जब मन को कोई सुकून नही, जब मन में कोई चैन नही, जब जीवन में परेशानी हो, जब जीवन में नाकामी हो, फिर कहाँ जीवन अच्छा लगता है l जब काम सही करते जाएँ, जब काम सही होते जाएँ, जब मुश्किल भी काबू में हो, जब मंजिल भी करीब हो, फिर जीवन अच्छा लगता है l जब हो अपनों के चेहरों पे खुशी, जब हो औरों के चेहरों पे खुशी, जब दुनियाँ में प्रेमभाव बढ़े, जब
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