जब मन में कोई उमंग ना हो, जब जीवन में कोई तरङ्ग ना हो, जब आँखों में कोई सपना ना हो, जब दुनियाँ में कोई अपना ना हो, जब आस का दीपक बुझता हो, जब मन का सूरज उदय ना हो, ऐसे में क्या किया जाए, ऐसे में किसे अपना समझा जाए, फिर प्रकृति अपनी सी लगे, फिर ईश्वर अपना सा लगे, जैसे सब वो मेरी सुनते हैं, जैसे सारे दुख वो मेरे हरते हैं, फिर दुनियाँ जीना अच्छा लगता है, फिर प्यारा जहान ये लगता है, जैसे सब मुझको मिल गया, जैसे मेरा मन फूल सा खिल गया, अंदर-बाहर, खुशियाँ जागे, फिर तो जैसे किस्मत जागे, कोई सुने नही कोई बात नही, कोई मिले नही कोई बात नही, चाहे कुछ पहले खोया हो, चाहे पहले कुछ मिला ना हो, कुछ करते हैं कुछ पाते हैं, फिर गुण ईश्वर के गाते हैं, फिर सब कुछ अच्छा लगता है, फिर जीवन अच्छा लगता है l Thank You.