कल परसों की बातों में, काहे समय गंवाय रे, आज को जी ले, आज में जी ले, नही आज लौट कर आए रे, बेमतलब की बातों में समय, हाथों से फिसला जाए रे, एक एक पल ये जा रहा है, कभी लापरवाही, कभी सुस्ती में, ऐसे ही जीवन बीत रहा, कभी चाहत में, कभी मस्ती में, क्या करना है, क्या नही करना, ये बात समझ नही आए रे l कुछ पाने की ख्वाईश में, ये जिंदगी, उलझी जा रही, कुछ मिल गया, कुछ नही मिला, ये जिंदगी, ऐसे ही चलती जा रही, कुछ चैन है, कुछ बेचैनी है, कुछ मुश्किलें, कुछ आसानी है, अपनी धुन में, चले जिंदगी, तू काहे को घबराए रे l दुनियाँ भर की फिक्र है करता, अपनी कोई फिक्र नही, कहाँ से आया, कहाँ जाना है, इस बात का कोई जिक्र नही, जीने की और ख्वाईशें है, कितनी जिंदगी है, ये पता नही, आज रहा नही, कल भी रहे ना, और कितने ख्वाब सजाए रे l ईश्वर ने तो दिया है जीवन, किसी खास मकसद के लिए, उसी ने भेजा, उसी से मिलना, जग में दिया है सब, जीने के लिए, उसकी बातें, वो ही जाने, उसके भेद, वो ही जाने, उसको याद किया जो जग में, फिर तो ये जीवन, सफल हो जाए रे l Thank you.