तो क्या करूँ
जब मेरा ही मन उदास हो,
तो क्या करूँ,
जब हँसी-खुशी-उमंग,
नही पास हो तो क्या करूँ,
जब जीने से उकता सा गया,
जब कुछ करके भी,
नही कुछ पा सका,
तो क्या करूँ l
जब जिंदगी भार सी लगने लगे,
जब तन-मन, साथ नही देने लगे,
जब कष्ट, परेशानी हो जीवन में,
जब दर्द है रहता, तन-मन में,
जब मंजिल दूर सी दिखने लगे,
तो क्या करूँ l
यूँ तो चलता जा रहा,
इस जीवन-पथ पे,
बिना रुके,
आगे ही बढ़ता जा रहा,
इस मुश्किल-पथ पे,
मंजिल भी दूर होती रही है,
कोशिस के बाद,
फिर भी जाने क्यों मन में,
विश्वास भरता जा रहा,
हारकर भी,
हारने को मन माने नही,
जैसे किस्मत का ताला,
खुलता जा रहा,
मन नही समझ पाता मेरा,
में क्या करूँ l
Thank You.
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