हम जिंदगी जी रहे हैं या

हम जिंदगी जी रहे हैं या,
जिंदगी ढो रहे हैं, 
हम जिंदगी में हँस रहे हैं या
जिंदगी में रो रहे हैं, 
जिंदगी ये हमारी किस काम की, 
अगर किसी किसी के काम न आई, 
हम जिंदगी को अपना समझ रहे हैं या
जिंदगी को पराया समझ रहे है  l

सोच हमारी ही, 
जिंदगी को अच्छा या बुरा बनाती है, 
कर्म हमारे ही, 
जिंदगी को स्वर्ग या नर्क बनाते हैं, 
हम जिंदगी में खामोश या
शोर मचा रहे हैं l

कुछ लोग जिंदगी को, 
उलझन खुद बनाते हैं, 
कुछ लोग जिंदगी में, 
परेशानियाँ खुद भरते हैं, 
परमात्मा ने तो जिंदगी को, 
बहुत खूबसूरत बनाया है, 
मालिक ने तो जिंदगी को, 
प्यार के रंगों से सजाया है, 
हम जिंदगी में, नफरत या
प्यार भर रहे हैं  l



Thank You. 

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