कुछ भी तो नही है, हमारे हाथों में,
जैसा चाहे, समय हमसे करवा लेता है,
सब कुछ समय के हाथों में है,
कुछ भी नही है हमारे वश में,
सब कुछ परमात्मा के वश में है,
हम जो करना चाहते हैं,
समय वह भो करवा लेता है,
और जो नही करना चाहते हैं,
वह भी करवा लेता है,
कुछ भी तो नही है, हमारे वश में,
सब कुछ, हाथों से फिसलता जा रहा है l
दुनियाँ में कौन दुखी रहना चाहता है,
कोई नही, फिर भी सबके जीवन में दुख आते हैं,
कभी-कभी सुख की झलक मिल जाती है,
वरना जीवन संघर्षों से भरा पड़ा है,
जीवन तो समय जैसा ही है,
जो आहिस्ता-आहिस्ता, घटता जा रहा है l
वक्त रहते अगर परमात्मा को याद नही किया,
तो फिर पछताना ही पड़ता है,
जीवन रहते परमात्मा का नाम नही लिया,
तो अंत समय में पछताना ही पड़ता है,
समय तो मुट्ठी में, रेत के जैसा है,
लगातार मुट्ठी से निकलता जा रहा है l
Thank You.
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