मैं
मैं मुझमें हूँ,
मैं कौन हूँ,
मैं कहाँ पर हूँ,
मैं कहाँ से आया हूँ,
मैं कहाँ जाऊँगा,
मैं कब इस दुनियाँ में आया,
मैं दुनियाँ से कहाँ जाऊँगा,
मैं क्या स्वयं को देख पाया हूँ,
मैं क्या स्वयं को जान पाया हूँ,
क्या मैं स्वयं से मिल पाया हूँ,
मैं मन हूँ क्या,
मैं तन हूँ क्या,
मैं शरीर में कहाँ पर हूँ,
मैं कहाँ पर रहता हूँ l
मैं क्या मन में हूँ,
मैं क्या तन में हूँ,
मैं क्या दिल में हूँ,
मैं क्या नाभि में हूँ,
मैं क्या गले में हूँ,
मैं क्या कानों में हूँ,
मैं क्या आँखों में हूँ,
मैं हूँ तो,
मैं फिर कहाँ हूँ,
मैं स्वयं को खोज पाया तो अति सुंदर,
मैं स्वयं को जान पाया तो अति सुंदर l
मेरा मुझमें कुछ भी नही,
जो कुछ है सो तेरा,
तेरा तुझको सौंपता,
क्या लागे है मेरा,
जग भी तेरा, मैं भी तेरा,
फिर किस बात का गुमान है,
मन भी तेरा, तन भी तेरा,
जीवन की डोर तेरे हाथ है,
खुद को जान सकूँ,
और तुझको जान सकूँ,
यही तो मेरा असली काम है l
Thank You.
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