कुछ कमाया, कुछ बचाया,
कुछ कमाया, कुछ बचाया, कुछ कहीं लगाया, कुछ गवांया, फिर कुछ खोया, फिर कुछ पाया, जीवन की गाड़ी तो ऐसे ही चलती रहती है, खाली आया, खाली गया l दुनियाँ के हिसाब किताब में, कोई पास है, कोई फेल है, जिंदगी के रंगमंच पर, कोई कोई हँसता है, तो कोई रोता है, किसी का जीवन सफल सा लगता, किसी का जीवन लगता, यूँही गया l किस्मत सबको नचाती फिरती, कभी यहाँ, कभी वहाँ, अपनी मर्जी से कोई ना जीता, सब है मुसाफिर यहाँ, जो छूट जाए, तन मन की तकलीफे, फिर तो लगता जीवन नया l सब सोच का ही खेल है सारा, जिससे जीवन बिगड़े बने, पछतावा किस बात का, जीवन तो ये आगे बढ़े, छोड़ दे जो मन चिंताएँ, फिर संग खुशियों का काफिला l Thank you.