जिंदगी एक जूआ है
जिंदगी एक जूआ है, जिसे सब खेलते हैं, कुछ अपनी मर्जी से, कुछ किस्मत की मर्जी से खेलते हैं, कभी आदमी जीतता है, तो कभी हार जाता है, कभी गैरों से हारता है, कभी अपनों से हार जाता है, कभी वह खुद से हारता है, कभी वह दूसरों से हारता है l कभी जिद्द में हारता है, कभी नादानी में हारता है, कभी नफरत में हारता है, कभी वह प्यार से हारता है, जीतता तो कभी कभी है, अक्सर वह हारता है, कभी वह तन से हारता है, कभी वह मन से हारता है, कभी वह होशियारी में हारता है, कभी वह नाकामी से हारता है l कभी किस्मत दगा देती है, कभी हिम्मत जवाब देती है, कभी मंजिल मिल जाती है, कभी मंजिल दूर रह जाती है, कभी किस्मत चमक जाती है, कभी किस्मत रूठ जाती है, जिंदगी ऐसे ही गम और खुशी में चलती जाती है, इस जिंदगी को भला, कौन समझ पाया है l जिंदगी कुछ ऐसे चलती है, जहाँ जीतना आसान नही होता, कभी जीत हाथ लगती है, कभी हार हाथ लगती है, जब मन हार जाता है, फिर जीना आसान नही होता, कभी अपने ही ख्याल सताते है, कभी कुछ हासिल ना कर पाने के पश्चाताप सताते है, कुछ जीतने की खुशी, कुछ हारने का गम रहता ह