यह जीवन किसकी मर्जी से चलता है,
इस जीवन को कौन चलाता है,
तुम, मैं या कोई और या प्रकृति या पुरुष,
कौन इस जीवन पर हुक्म चलाता है,
क्या ये जीवन बंधन में है, या मुक्त है,
क्या यह जीवन सुंदर है या विकृत,
यह जीवन किस तरह से चलता है l
हम कहते हैं, हम सब अपनी मर्जी से करते हैं,
लेकिन हम तो सब किसी और की मर्जी से करते हैं,
हम कहते हैं कि हम तो सब अपने लिए करते हैं,
पर वास्तव में हम किसी और के लिए करते हैं,
यह जीवन किसी और के ख्यालों में गुजरता है l
सच को कौन नकार सकता है,
जीवन का कौन तिरस्कार कर सकता है,
जीवन को कौन जान सकता है,
जीवन को कौन समझ सकता है,
यह जीवन विराट होते हुए भी बहुत छोटा है,
यह जीवन कष्टदायक होते हुए भी बहुत प्यारा है,
सब कुछ सहते हैं फिर भी किसी को कुछ बोलते नही हैं,
यह परमात्मा का दिया हुआ जीवन,
परमात्मा की मर्जी से चलता है l
Thank You.
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