गुरु-वंदना

बन्दउँ गुरु पद कंज कृपा, सिंधु नर रूप हरि, महामोह तम पुंज जासु वचन रवि करनी कर  l

मैं उन गुरु महाराज के चरण कमलों की वंदना करता हूँ, जो नर रूप में श्री हरि हैं, जो सागर के समान हैं, जिनके वचन महामोह अंधकार में सूर्य की किरणों का कार्य करते हैं  l

Thank You. 

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