कुछ जीने के हो अंदाज अलग

कुछ जीने के हो अंदाज अलग, 
कुछ करने के हो अंदाज अलग, 
कुछ सोच नई, कुछ काम नये, 
कुछ चलने के हो, आयाम नये, 
कुछ बाजुओं में हो दम अलग l

घुट-घुटकर क्यों जीयें हम, 
आगे बढ़ने से क्यों डरे हम, 
मंजिल तो सामने ही होती है, 
सपने देखने से पीछे क्यों हटे हम, 
थकी-थकी सी जिंदगी में, 
भर दे नया जोश अलग  l

मुश्किलें तो राहों में मिल जाती है, 
चाहतें तो जीवन भर साथ निभाती है, 
कोई पराया, अपना भी नजर आ जाता है, 
दूर रहकर भी, कोई अपना बन जाता है, 
कुछ लबों से निकले आवाज अलग  l


Thank You. 

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