मन हल्का, तन हल्का,
दिल हल्का, जीवन हल्का,
मन प्रकाशित, तन प्रकाशित,
दिल प्रकाशित, रूह प्रकाशित,
जिसने छोड़ी, चिंताएँ जगत की,
उसका तो जीवन हल्का l
धुआँ ऊपर को उठता है,
लौ ऊपर को जाती है,
वायु ऊपर में चलती है,
साँसे ऊपर को जाती हैं,
भाप ऊपर को उठती है,
टहनी ऊपर को जाती है,
नजरें ऊपर को उठती हैं,
ऊर्जा ऊपर को उठती है,
नीचे से ऊपर को उठाना खुद को,
कर्तव्य है जीव का l
स्वयं को जिसने, ऊपर को उठाया,
उसने रूह को सँवार लिया है,
जिसने मुक्त खुद को बनाया,
उसने खुद को पहचान लिया है,
जिसने समझा, कमजोर खुद को,
उसने क्या जीवन में पाया,
सब कुछ है, पर ज्ञान नही है,
फिर अंतर्मन नही जान सका है,
शांत मन और शांत चित से,
उद्धार होता है जीवन का l
Thank You.
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