जब मन बिखर जाता है,
तो इंसान बहुत ज्यादा कुछ हासिल नही कर पाता है,
जब मन एकत्रित हो जाता है, एक हो जाता है,
फिर उसके लिए कुछ भी असंभव नही है l
मन करोड़ों भागों में बंटा होता है,
एक पल में यह कितना कुछ सोच लेता है,
कितनी कल्पनाएँ कर बैठता है,
और हमारे जीवन में हलचल पैदा कर देता है,
हम मन को सँगठित करें,
एकाग्र करें पर आत्मोत्थान करें l
अपने मन को पहचाने,
और अपने मन की चाल को समझें,
वह क्या चाहता है,
आप क्या करना चाहते हो
और वह आपसे क्या करवाना चाहता है,
स्वयं पर विश्वास तो करें
लेकिन अपने मन पर विश्वास ना करें,
क्योंकि मन तो हमेशा धोख़ा देता है,
वह आपका मित्र है तो शत्रु भी है,
अपने मन को अभ्यास और वैराग्य में लगाए,
और अपनी आत्मा को ऊँचा उठाएँ l
Thank You.
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