कैसे होगा और कब होगा, कौन करेगा, यह पता नही, दुनियाँ के ये काम हैं ऐसे, कैसे पूरे होंगें, पता नही, कौन जिम्मेवारी समझता, कौन कुछ करना चाहता है, कौन काम से जी चुराता, कब मुश्किल हो जाए, पता नही l ये दुनियाँ, उलझन का घर है यहाँ हर कोई, उलझा फिरता है, जैसे कोई, करने को कह देता है, वैसे ही करता फिरता है, अपने मर्जी से कुछ नही होता, सब औरों की मर्जी से होता है, जैसा चाहता है इंसान, वैसा नही कुछ होता है, कब क्या मिल जाए किसको, इस बात का भी पता नही l किसकी समझ में आया जीवन, सब यहाँ, कठपुतली हैं, सबको वो ही नाच नचाता, कैसी जीवन की पहेली है, चल पड़े हैं, नए सफर में, क्या पाना, क्या खोना है, कौन है जीता, इस जीवन को, क्या काटना, क्या बोना है, मंजिल की तलाश में, चल पड़ी है जिंदगी l Thank You.