जैसे भी हो, मंजिल पानी है हमें

जैसे भी हो, मंजिल पानी है हमें, 
जैसे भी हो, जिंदगी सँवारनी है हमें, 
यूँ तो ये सारा जहान हमारा है, 
इस जीवन में हर कोई यहाँ प्यारा है, 
जैसे भी हो, खुशियाँ बांटनी है हमें  l

कुछ शब्द, निकलते हैं इन होठों से, 
कई बार, निशब्द हम हो जाते हैं, 
कभी मंजिल मिल जाती है हमें, 
कई बार, मंजिल से दूर हम हो जाते हैं, 
जैसे भी हो, किस्मत बनानी है हमें  l

यूँ तो रब मेहरबान है, सदा से हम पर, 
यूँ तो रब ख्याल रखता है, हम सबका, 
लेकिन पुरुषार्थ करना, हर इंसान का धर्म है, 
अपना जीवन सँवारना, हर इंसान का फर्ज है, 
जैसे भी हो, नई राहें बनानी है हमें  l

Thank You. 

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