ये मन बड़ा चंचल है,
यह कहीं टिकता नही है,
कभी यह ईधर देखता है,
कभी यह उधर देखता है,
कभी यह आगे देखता है,
कभी यह पीछे देखता है,
कभी यह ऊपर देखता है,
कभी यह नीचे देखता है,
मन बड़ा हठी है,
कभी यह कुछ सोचता है,
कभी यह कुछ करवाता है l
मन की बात जो सारी माने,
वह बाद में पछताता है,
मन का जो गुलाम बना है,
वह क्या इंसान कहलाता है,
मन जिसका वैरागी बन जावे,
मन को जिसने ढाल लिया है,
वह प्रभु की भक्ति पाता है l
ये मन ही मीत, मन ही शत्रु,
मन ही चाह जगाता है,
मन ही हँसावे, मन ही रुलावे,
मन ही साथ में जाता है,
पर मन को जो कोई समझ ना पावे,
उसको ये राह भटकाता है,
मन को जिसने जीत लिया है,
वीर वही कहलाता है l
Thank You.
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