मन हरि सुमिरन में लग जाए, मन हरि ध्यान में लग जाए, मन बड़ा चंचल, बलवान बड़ा है, मन को संभालना काम बड़ा है, मन ने पाई सही दिशा तो, जीवन सफल हो जाए l ईश्वर की भक्ति में अतिआनंद, वैरागी मन पावे परमानंद, जैसा मन को ढालोगे, वैसा मन बन जाएगा, जैसा मन से अभ्यास करोगे, वैसा ये जीवन बनता जायेगा, छोड़ जगत के सारे झगड़े, मन तु क्यु ना प्रभु को चाहे l तेरी तो है बात अलग मन, तू हरदम साथ में रहता है, दुनियाँ की तू चिंता करता, खुद की फिक्र नही करता है, तू सब देखे, तू सब जाने, तू सब समझे, सब पहचाने, तेरी चाल समझनी मुश्किल, तू क्यूँ ना हरि गुण गाए l आजकल सब चला जा रहा है, समय हाथों से फिसल रहा है, भूला बैठा जो उस मालिक, फिर क्या किया तूने दुनियाँ में, जो मन रंग जाए हरिनाम में, फिर जन्म सफल हो जाए l Thank you.
Aman's Poetry World Blog