मन ये कहाँ-कहाँ घूमे
मन ये कहाँ-कहाँ घूमे,
मन ये हर जगह घूमे,
ये वहाँ भी पहुँचे,
जो देखा है,
ये वहाँ भी पहुँचे,
जो नही देखा है,
एक जगह नही ये टिकता है,
मन ये कहाँ-कहाँ भागे l
इस मन की है चाल निराली,
क्या सोचे है, समझ ना आए,
अपना हुक्म चलाए जाता है,
ये क्या करता है, देख ना पाए,
मन को जिसने बाँध लिया है,
मन को जिसने समझ लिया है,
वो ही हुआ आगे l
प्रभु के ध्यान में मन को लगाएँ,
हरि गुणगान में मन को लगाएँ,
मन को अपना मीत बनाए,
इससे हर उलझन समझाए,
मन तो है एक दर्पण रूह का,
ज्यादा से ज्यादा इसको चमकाए,
मन को अमन जो बना लिया तो,
फिर तो सारी विपदा छूटे l
Thank You.
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