मन रे तू काहे हुआ उदास,
मन रे क्या है नही तेरे पास,
जो तू सोचे सारे जग की,
जो तू चिंता करता जग की,
तेरे बेमतलब के ख्यालात ।
थोड़ा जीवन, थोड़ी साँसें,
थोड़ा जीवन, थोड़े दिन-रातें,
खुद की जो फिक्र है तुझको,
अपनो की खातिर करता है कुछ जो,
फिर कुछ चिंता की नही बात ।
बेफिकरा जो तू हो जावे,
जीवन जीना जो तू सीख जावे,
ईश्वर को जो मीत तू समझे,
औरो की जो मदद तू कर दे,
फिर सच्चा तेरा साथ ।
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