गोविंद दीनदयाल हे सबके मालिक,
सब लोकों की शान हे जगत के मालिक,
सबपे दयावान हे है विश्व के मालिक,
सबसे तेरी पहचान हे सृष्टि के मालिक ।
तुम्ही देव-देवता भगवान,
तुम्ही ईश्वर दाता प्रभुवर,
सब पर हो मेहरबान तुम्ही तो,
सबके कद्रदान तुम्ही तो,
तुम तो जानो सब कुछ भगवान,
तुम तो देखो सब कुछ भगवान,
फिर भी बनते अंजान हे भगवान,
लीला तेरी है अनंत हे मालिक ।
हम तो तेरी शरण में मालिक,
हम तो तेरे चरणों में मालिक,
चाहे कोई कुछ समझे या कह दे,
हम तो तेरे सेवक मालिक,
तुझसे है विनती हे प्रभुजी,
कर लो हमको स्वीकार हे मालिक।
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