Monday, October 31, 2022

I walk towards aim

मैं चलता रहा मंजिलों की तरफ, 
मैं सुनता रहा कदमों की धमक,
कभी इस गली, कभी उस गली, 
कभी इस गाँव कभी उस गाँव, 
कभी इस शहर कभी उस शहर, 
मैं चलता रहा सपनो की तरफ  । 

कभी कारवाँ के संग चला, 
कभी अकेले मैं चलता ही गया, 
कभी थक गया, कभी रूक गया, 
कभी मैं चला चलता ही गया, 
कभी बेफिक्री में मैं रहा, 
मैं चलता रहा खुशियों की तरफ । 

कभी चेहरे पे खुशी छाई , 
कभी होठों पे हँसी आई, 
कभी याद कोई आता गया, 
कभी गम दिल को बहलाता गया, 
मैं चलता रहा सागर की तरफ़  । 

Aman


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