जब मन ही नही कुछ करना चाहे,
तो क्या करे तब क्या करे,
जब दिल ही नही कुछ पाना चाहे,
तब तक करे तब क्या करे l
जब उदासियों के साये हो,
जब चाहतों के घेरे हो,
जब के सपने धूमिल हो,
जब दूर दिखती मंजिल हो,
तो क्या करे फिर क्या करे l
जब तन भी थका थका सा हो,
जब मन भी रुका रुका सा हो,
जब साँसें थमी थमी सी हो,
जब आहे धीमी धीमी सी हो,
जब जिंदगी रुकी रुकी सी हो,
तो क्या करे फिर क्या करे l
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