फिर वही थकी थकी सी जिंदगी,
फिर वही रुकी रूकी सी जिंदगी,
फिर भी उदास उदास सी जिंदगी,
फिर वही आराम आराम सी जिंदगी l
फिर वही रुकी रूकी सी जिंदगी,
फिर भी उदास उदास सी जिंदगी,
फिर वही आराम आराम सी जिंदगी l
जैसे जिंदगी अपनी गति भूल गई है,
जैसे ये अपनी मति भूल गई है,
जैसे ये कहीं खो गई है,
जैसे ये गुमसुम सी हो गई है,
फिर वही गुमनाम सी जिंदगी l
कुछ सोचा था जहान में नया करने का,
कुछ सोचा था जहान में पाने का,
आगे बढ़ने की धुन सिर पर सवार थी,
अपनी मस्ती में चलने की मन में खुमार थी,
लेकिन आज दिखती है नाराज सी जिंदगी l
Comments