सारे खिलौने उसने बनाए,
सारे खेल है उसने रचाए,
नचा रहा वह सब को ऐसे,
जैसे कठपुतली को नाच नचाए,
सारी दुनियाँ चलती फिरती,
कोई ईधर् चला, कोई उधर चला,
ऐसा जीवन उसने बनाया,
कोई इसमें चैन ना पाए l
बिना मकसद का जीना यहाँ है,
जो मकसद है वह मिल नही पाए,
इसको ही किस्मत कहते हैं,
कोई खोये, कोई पाए,
सब एक दूजे को जानते हैं,
फिर भी कोई जान ना पाए,
अजनबी की तरह रहे सब,
उसकी लीला कोई समझ ना पाए l
वो देखे सब वो जाने सब,
उसकी नजरों से कोई बच नही पाता,
वो ही करता वो ही करवाता,
वो ही सबका दिल बहलाता,
वो ही देखे, वो ही दिखाए,
वो ही सबको सही राह दिखाए l
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