इस मन का सब खेल है सारा

इस मन का सब खेल है सारा, 
जो चाहे करवाना चाहता है, 
इस मन की जिद्द अजीब है होती, 
ये जहाँ चाहे लग जाता है, 
जीतना ही चाहता है ये, 
फिर क्यों हार जाता है, 
आदत सही नही जो मन की, 
फिर तो मुश्किलें बढ़ाता है, 
मन को जिसने जीत लिया, 
ऐसा कोई बिरला ही है, 
मन को जिसने साध लिया, 
जग में ऐसा कोई, बिरला ही है, 
मन के हारे, हार है होती, 
मन चाहे तो जीत जाता है l

ये जीवन तो खेल तमाशा, 
ये दुनियाँ एक मेला है, 
कभी हारना, कभी जीतना, 
कभी मिलना, कभी बिछुड़ना है, 
सारे बंधन कांच के जैसे, 
जैसे कच्चे धागे हों, 
टूट जाते हैं साथ सारे, 
अंत समय जब जाना हो, 
खुशियों की बरसात है होती, 
जब मन खुश रहना चाहता है  l

चलो कुछ समय जीवन का, 
अमन-चैन में गुजारा जाए, 
चलो कुछ पल जीवन के, 
प्यार में गुजारें जाएँ, 
कुछ दिल में सुकून हो तो, 
मन भी सुकूनभरा होगा, 
मन को जिसने संभाल लिया है, 
वह जीना सीख जाता है l



Thank You. 

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