ये जीवन, साँझ-सवेरे,
मंजिलों की ओर चल पड़ा है,
अपनी राह पर चल पड़ा है,
मिट जाए, घोर अंधेरे l
कुछ चाहत, पूरी हो गई है,
कुछ चाहत, पूरी हो रही है,
कुछ आशा-तृष्णा मिट गई है,
कुछ बात बनते, बन गई है,
कुछ सपनों के बसेरे l
इस पल की तो बात अलग है,
इस पल में तो बात अलग है,
क्या पाया, क्या खोया यहाँ पर,
क्या चाहा, क्या मिला यहाँ पर,
इस दुनियाँ में लगते फेरे l
Thank You.
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