Monday, July 24, 2023

दुनियाँ में आकर के जीना कहाँ आया




दुनियाँ में आकर के जीना कहाँ आया, 
दुनियाँ में आकर के खुश रहना कहाँ आया, 
फिक्र जमानेभर की सीने में इकठी की, 
कुछ कल की कुछ परसों की फिक्र की, 
जो पास में नही है उसकी फिक्र हमेशा की, 
जो साथ में नही है उसकी फिक्र हरदम की, 
दुनियाँ में आकर के चैन कहाँ पाया  l

ये जिंदगी किसी की मोहताज नही है यहाँ, 
ये जिंदगी अपनी मंजिल खुद ढूंढ लेती है, 
कोई इसको रास्ता बताए या नही बताए, 
ये जिंदगी अपने रास्ते खुद बना लेती है, 
मुश्किलें भी आती है तो क्या हुआ, 
फिर भी चलती जाती है ये जिंदगी, 
सब जी लेते हैं यहाँ हर हाल में, 
हर किसी ने इस जिंदगी को जी भर के चाहा  l

चाहतों में रंग है तो खुशियाँ है, 
जिंदगी जैसी भी है पर बढ़िया है, 
छोड़ दी उदासियाँ सब यहाँ, 
चेहरे पर मुस्कान है तो शुभ घड़ियाँ हैं, 
आजकल की जिंदगी में है व्यस्तता, 
किसी के लिये कुछ समय निकाल पाए तो बढ़िया है, 
छोड़ दे बेवजह का अहंकार अगर, 
फिर तो खुशहाल ये सारी दुनियाँ है, 
जो प्यार के रास्ते पर चलना सीख लिया, 
उसको इस दुनियाँ में फिर जीना आया  l



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