रात दिन मन का खेल चलता रहता है


रात दिन मन का 
खेल चलता रहता है, 
हर समय 
मन की भावनाओं का
सिलसिला चलता रहता है, 
कभी खुशी आती है, 
कभी गम आता है, 
कभी गुस्सा आता है, 
कभी प्यार आता है, 
कभी हँसी आती है, 
कभी रोना आता है, 
कभी कुछ मिल जाता है, 
तो कभी खो जाता है, 
कभी सपनों में तो 
कभी हकीकत में, 
ये जीवन चलता रहता है  l

कौन समझ पाता है, 
इस जीवन के चक्रव्यूह को, 
कौन देख पाता है, 
इस तन में अपनी रूह को, 
एक रास्ते से सब आते है, 
एक रास्ते से सब चले जाते हैं, 
कहाँ से आए, कहाँ है जाना, 
इसका पता किसे कहाँ चलता है  l

जन्म मरण के बीच में, 
दुनियाँ में जीव सब प्रकट है, 
जन्म से पहले, मृत्यु के बाद, 
कौन कहाँ रहता है, 
इस धरती पर रहता है या
जल में रहता है या
आकाश में रहता है या
अंधेरे में रहता है या 
प्रकाश में रहता है, 
सब जानकर भी 
क्या जान पाता है, 
सब देखकर भी 
क्या देख पाता है, 
जीवन किस खातिर मिला है, 
क्या जान कोई यहाँ पाता है  l

मन को जो कोई समझा तो
उसका बेड़ा पार हुआ, 
अपनी शक्ति को पहचाना तो 
फिर उसका उद्धार हुआ, 
जिसने प्रकृति को देखा, 
जिसने प्रकृति की ताकत को देखा, 
जिसका है विश्वास खुद पर, 
जिसका है विश्वास खुदा पर, 
वह अपनी मंजिल पर पहुँच जाता है  l


Thank you. 


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