दुनियाँ में, कौन तुम्हे प्यारा लागे



दुनियाँ में, कौन तुम्हे प्यारा लागे, 
किसका तुम्हे सहारा लागे, 
जो लगता है दिल को अच्छा, 
जो लगता है मन को अच्छा, 
जिसके लिए ये आँखें तरसे, 
जिसके लिए ये बाहें तरसे, 
जिसके लिए मन हर पल सोचे, 
जिसके लिए दिल हरदम धड़के, 
जो अपना नही, पर अपना सा लगता, 
उसके मिलने से, जग नजारा लागे  l

यूं तो इस मतलबी जहान में, 
फिरते है लोग मगरूरी में, 
सोचते सब अपने ढंग से, 
रहते सारे दूरी में, 
कर्म तुम्हारा, तुम ही करोगे, 
औरों से क्या अपेक्षा करोगे, 
अपने ढंग से सब जीते हैं, 
कौन यहाँ पर अपना लागे  l

अपने मन को,
जिसने समझाना सीख लिया, 
उसने तो फिर, 
जहान ये सारा जीत लिया, 
इस मन के कारण ही तो, 
जीवन में,
दुखों का आना जाना है, 
जो मग्न है अपनी दुनियाँ में, 
फिर क्या हँसना क्या रोना है, 
जहाँ रहे बस खुश रहे, 
फिर हर कोई यहाँ प्यारा लागे  l

अपनापन जो लिए है मन में, 
फिर कौन पराया है इस जग में, 
खूबसूरत दिल जब पास तुम्हारे, 
फिर सब सुंदर लगता है जग में, 
खुशियों का फिर जहान ये सारा, 
जीवन लगे फिर प्यारा प्यारा, 
किसकी कमी फिर इस दुनियाँ में, 
ये जग फिर नजारा लागे l

सच्चाई को नकारना मुश्किल, 
अपने दिल को संभालना मुश्किल, 
अपना पराया छोड़ के यूँ तो, 
सबसे प्यार करना मुश्किल, 
जो देखें, सुंदरता जग में, 
जो सोचे, सुंदर इस मन में, 
जो सब में देखें, रूप प्रभु का, 
जो खुद में देखें, स्वरूप प्रभु का, 
फिर सारा जहान ये प्यारा लागे  l

Thank you


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