जहाँ भी रहे हम, रहे प्यार से,
राग द्वेष से दूर रहे हम,
नफरत करना छोड़े यहीं पर,
हर स्वार्थ से दूर रहे हम l
राग द्वेष से दूर रहे हम,
नफरत करना छोड़े यहीं पर,
हर स्वार्थ से दूर रहे हम l
जो भी पाया, प्रभु इच्छा से,
जो भी मिल रहा, हरि इच्छा से,
नेक नीति से चले जगत में,
नही बुरा किसी का करे जगत में,
बुरी आदतें छोड़ें यहीं पर,
तन मन के विकार दूर करें हम l
ईश्वर भजन बिना प्राणी का,
उध्हार नही हो पाता है,
हरि सुमिरन बिना प्राणी को,
भक्ति ज्ञान नही मिल पाता है,
करे याद प्रभुजी को प्रेमभाव से,
नित्य हरि चरणों को भजते रहें हम l
Thank you
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