निर्मल निर्मल ये मन

निर्मल निर्मल ये मन, 
निर्मल निर्मल जीवन, 
उज्जवल उज्जवल ये मन, 
उज्जवल उज्जवल जीवन  । 

जैसा खावे अन्न, वैसा होवे मन , 
जैसा होवे मन, वैसा होवे तन, 
साँसें भरती नई ऊर्जा, 
साँसे देती नवजीवन  । 

ईश्वर तो कृपा सबपे करते है, 
पर कौन शुक्रगुजार है, 
शरणागत के रक्षक भगवान,
पर कौन ईश्वर शरण में है, 
परमात्मा सब जहान के मालिक, 
वही तो करते सबका पालन  । 

योग तो रूह और ईश्वर से मिलना, 
याद प्रभु को कर लेना, 
अज्ञान मिट जाए इस मन का, 
ज्ञान अर्जित कर लेना, 
दिल में प्यार भरा हो, 
तो खुशियों भरा ये जीवन  । 

Aman


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