जब जीवन को समझा ही नही,
तो क्या आया इस जग में जीना,
तो क्या आया इस जग में जीना,
जब अपना कोई माना ही नही,
तो क्या आया इस जग में जीना ।
कुछ हँसी मिली, कुछ कुछ खुशी मिली,
कुछ प्यार मिला, कुछ उपहार मिला,
ये जिंदगी यूँ ही चलती रही,
कुछ खुशी मिली, कुछ गम मिला,
जब औरों के लिए जीया ही नही,
तो क्या आया इस जग में जीना ।
यहाँ कौन तेरा अपना मिला,
जिसे मिलने पर तेरा दिल खिला,
कब लगा ये जीवन तेरा है,
कब लगा ये जीवन अच्छा है,
जब स्वाद दुखों का चखा ही नही,
तो क्या आया इस जग में जीना ।
Aman
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