मेरा मन चले तो मैं चलूँ,
मेरा मन रूके तो मैं रुकूँ,
मेरा मन सोचे तो मैं करूँ,
मेरा मन बोले तो मैं बोलूँ,
मेरा मन कहे तो मैं चलूँ l
मन ही तो इंसान का,
कुछ न कुछ करवाता है,
मन ही तो इंसान का,
आदमी को इंसान बनाता है,
मन हारा तो हार गया,
मन जीता तो जीत गया,
मन के कारण दुनियाँ के झगड़े,
मन बदल गया तो जीवन बदल गया,
कैसा मन का संसार है,
मन की बातों में मैं मिलूँ l
मन मजबूत बनाया जिसने,
दुनियाँ में सब कुछ पाया इसने,
मन को नही भटकाया जिसने,
जीवन को स्वर्ण बनाया उसने,
ज्ञान का भंडार ये मन है,
खुशियों का भंडार ये मन है,
कितना रोके कोई मन को,
कितना टोके कोई मन को,
मन चाहता जो वही करवाता,
मन देखे जो वही दिखलाता,
मन को मीत बनाया जिसने,
उसने ही कुछ पाया जग में,
मेरा मन कहे तो कुछ मैं कहूँ l
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