मंजिल की तलाश में, चल पड़े हैं कदम मेरे,
खुशियों की तलाश में, बढ़ रहे हैं कदम मेरे,
छोड़ दूँ मैं सारी मन की दुविधा को,
छोड़ दूँ मैं मन की सारी कड़वाहट को,
प्यार की राह में, चल पड़े हैं कदम मेरे l
अब मैंने इस दुनियाँ में रहना सीख लिया,
मैंने इस दुनियाँ में जीना सीख लिया,
मैंने सुंदर सपने देखना सीख लिया,
मैंने कुछ खोकर भी पाना सीख लिया,
अपने आप ही मैंने खुश रहना सीख लिया,
मुस्कुराहटों की तलाश में बढ़ रह हैं कदम मेरे l
मैंने क्या खोया और यहाँ क्या पाया है,
मैंने क्या चाहा था और क्या पाया है,
किसी से अब कैसी शिकायत यहाँ,
जो किस्मत में था, वही तो मैंने पाया है,
अपनेपन की तलाश में, बढ़ रहे हैं कदम मेरे l
Thank You.
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