जब मन ना करे,
कुछ कहने को, तो क्या कहे,
जब दिल ना करे,
कुछ करने को, तो क्या करे,
लगता है जैसे,
जुबाँ ही सिल गई है,
लगता है जैसे,
कुछ याद ही नही है,
लगता है जैसे,
मन में उमंग ही नही है,
लगता है जैसे,
कुछ याद ही नही है,
जब मन ना करे,
कहीं चलने का तो क्या करे l
जब सपने दुन्धले दुन्धले हो,
जब आँखों से दूर सपने हो,
कुछ समझ ना आए कि क्या करे,
कुछ मन नही सोचे कि क्या करे,
कुछ खुद को संभाल लिया यहाँ,
कुछ जीवन संभाल लिया यहाँ,
कुछ सोचकर, कदम चल पड़े,
कुछ आगे को बढ़ चले,
जब मंजिल का कोई पता नही,
फिर कोई कहे कि क्या करे l
अब मन की उदासी, सब छोड़ दी,
अब तन की सुस्ती, सब छोड़ दी,
कुछ गीत गुनगुनाता चला,
मन अपना बहलाता चला,
अब ढीला ढीला तन नही,
अब थका थका ये मन नही,
जब मन मजबूत बना लिया,
फिर कोई भी अड़चन नही,
जब वजह मिली यहाँ जीने की,
तो सफर तय करता चले l
Thank You.
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