जीवन क्या है, परमात्मा द्वारा दी गई, एक सुंदर भेंट है, लेकिन हम इस बात से पूर्णरूप से अनभिज्ञ रहते हैं, कि यह जीवन क्या, संसार क्या है, हम क्या और परमात्मा क्या है, हम इस दुनियाँ में आकर यह भूल जाते हैं कि हमारा इस दुनियाँ में आने का मकसद क्या है
हम दुनियाँ को संतुष्ट करने के लिए कार्य तो करते हैं, लेकिन जिनसे ना तो यह दुनियाँ खुश होती है, ना हम खुश हो पाते हैं, हम ऐसे कार्य करना भूल जाते हैं जिनसे हम हम खुश हो सके और वह परमात्मा खुश हो जाए l
हम दुनियाँ में जैसे शुरु में आए थे, बिल्कुल, सीधे, सच्चे और सामान्य, अगर ऐसे ही चले जाए तो कितना अच्छा हो, हम जहाँ से आए थे, अन्त में वही पर चले जाए तो कितना अच्छा हो, लेकिन यह हमारे कर्मों और हमारी सोच पर निर्भर करता है, और इस बात पर भी निर्भर करता है कि हम दुनियाँ में क्या चाहते हैं, दुनियाँ को कितना चाहते हैं, स्वयं को कितना चाहते हैं और परमात्मा को कितना चाहते हैं, हम किससे कितना प्यार करते हैं, हम किससे कितनी नफरत करते हैं, सब कुछ हमारी सोच पर निर्भर करता है l
Thank You.
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