मै क्यूँ हारूँ, मैं क्यूं हारूँ खुद से,
मै क्यूँ हारूँ, मैं क्यूं हारूँ किसी से,
मैं क्यूं डरूँ, में क्यूँ डरूँ किसी से,
क्या में किसी से कम हूँ,
क्या मुझपे मेरा यकीन नही है,
क्या खुद मे मेरा विश्वास नही है,
मुझे तो हर मुश्किल से जीतना है,
मुझे खुद से भी जीतना है,
माना मै अपनों से हार जाता हूँ,
माना चाहनेवालों से हार जाता हूँ,
माना मुझमें कमजोरियां बहुत है,
माना मुझमें बेताबियाँ बहुत है,
फिर भी मुझे जीतना है l
किसी का दिल दुखाने का कोई इरादा नही है,
मगर खुद को भी तो हौसला देना है,
खुद भी जीना है और औरों को भी जीने देना है,
किसी के लिए कोई परेशानी मुझसे ना हो,
किसी के लिए कोई तकलीफ मुझसे ना हो,
खुशियाँ जहान में बिखेरते जाना है l
सफर जिंदगी का हँसते हंसते काटना है,
हर लम्हा खुश होकर बीताना है,
छोड़ देना दुनियाँ का रोना धोना,
मुझे तो जिंदगी को स्वर्ग बनाना है,
अब सारा जहान अपना लगता है,
यहाँ प्यार बढ़ाते जाना है l
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