मैं छोडूँ अपनी झूठी शान को,
छोडूँ अपने झूठे अभिमान को,
क्या लेकर के आया था मैं,
क्या लेकर जग से जाऊँगा,
जो भी पाया यही पे पाया,
जो भी गवायां, यही गवायां,
आना जाना सबका यहाँ है,
छोडूँ नफरत के व्यवहार को l
कुछ भी तो यहाँ पक्का नही है,
जो बनता है, वह तो बिगड़े,
नया बने फिर, हो जाए पुराना,
पुराना फिर नए में बदले,
जीवन का यहाँ क्या है भरोसा,
आज मिला है, कल नही मिले,
जिंदगी को कुछ पल तो जी लूँ,
छोड़ के सारी होशियारी को l
मुश्किल पल भी जीवन में आते,
कभी थोड़े कभी ज्यादा आते,
कुछ तो मुश्किलें हमने खड़ी की,
कुछ इस दुनियाँ ने खड़ी की,
फिर भी चलते रहना मुझको,
साथ में लेकर औरों के लिये प्यार को l
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