प्रभुप्रेम में जीना है, प्रभुप्रेम में मरना है,
प्रभुप्रेम में हँसना है, प्रभुप्रेम में मरना है,
जिंदगी जितनी बाकी है, प्रभुप्रेम मे लग जाए,
श्वाशें जितनी बाकी है, हरि सुमिरन में लग जाए,
थोड़ा सा समय यहाँ पर, प्रभु भजन ही करना है l
माना जगत के बंधन, बांधने की कोसिस में रहते हैं,
माना जगत के प्राणी, अपनी और खिचते रहते हैं,
संसार में उलझन है तो, हरि भक्ति में आनंद है,
संसार में बंधन है तो हरि भक्ति में मुक्ति है,
प्रभुजी की कृपा सबपे, उसकी कृपा में रहना है l
सदा वो देते हैं, सबको वही देते है,
सदा वो ही करते हैं, सबमे वो ही बसते हैं,
परमात्मा आनंद स्वरूप, परमात्मा सत्य स्वरूप,
सदचिदानंद परमात्मा प्रभुजी, सर्वेश्वर् स्वरूप,
अमन प्रभुजी का तू बनले, जगत् का क्या बनना है l
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