क्या कहता है ईश्वर,
क्या कुछ नही कहता है ईश्वर,
कुछ पल की जिंदगानी,
उसे नही जाना तो बेईमानी,
कभी खुद को सुनो,
कभी खुदा को सुनो,
कभी उससे कहो,
कुछ बातें करो,
कुछ मुलाकातें करो,
ईश्वर से बड़ा नही है कोई,
और उसके सिवाय नही है कुछ,
उसका ऐश्वर्य सारा,
उसका जहान ये सारा,
वो ही सबसे प्यारा,
वो ही सबमे प्यारा ।
वो अंदर वो बाहर,
फिर अंजान कहाँ है तुमसे,
वो फैला समस्त जगत में,
फिर वीरान कहाँ है जग ये,
वो रहता है जीव-जीव में,
वो रहता कण कण में,
सुनो आवाज उसी की प्यारो ।
सदा वो ही सदा से जग में,
सदा वो ही रहता सबमें,
फिर दूर कहाँ वो ईश्वर,
नजदीक वो सबसे ज्यादा,
और दूर भी बहुत है,
मगर उसके करीब आ जाए,
फिर पास ही है वो ईश्वर ।
सुनो आवाज उसीकी यहाँ सब,
आवाज उसी की, सब रूप हैं उसके,
उसका बनाया अंधेरा, उसका बनाया उजाला,
उससे ही रस, उससे ही गंध,
वो ही साथ तेरे है ईश्वर ।
Aman
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