किसका यहाँ पक्का ठिकाना

किसका यहाँ पक्का ठिकाना, 
हर कोई यहाँ मुसाफिर है, 
आना जाना, लगा है रहता, 
दुनियाँ में किसका पक्का घर है, 
जीवन चलता रहता रहता है तब तक, 
जब तक ना बुलावा आता है l

इस दुनियाँ में, जो भी आया है, 
उसे जाना ही पड़ता है, 
सच तो यही है, सब छोड़कर, 
एक दिन यहाँ से जाना ही पड़ता है l

दुनियाँ में चाहे कहीं भी जाएँ,
पर सब लौटकर घर आते हैं, 
चाहे कितने भी करे खेल तमाशे,
पर खेल खत्म होता ही है, 
किस बात का यहाँ घमंड करे, 
अंत में सब छोड़कर,
घर जाना ही पड़ता है  l

ये जिंदगी तो एक सफर है, 
हम सारे जहाँ मुसाफिर हैं, 
ये दुनियाँ तो एक सराय, 
जहाँ ठहरना, 
समय की एक जरूरत है, 
चल पड़े फिर उस तरफ, 
जो तेरा सच्चा घर है,
तोड़कर सब रिश्ते नाते,
यहाँ से, वहाँ जाना ही पड़ता है l



Thank you. 

Comments

Popular posts from this blog

Why I am here