मेरा जीवन कुछ काम तो आए,
मेरा जीवन किसी के काम तो आए,
भूलूँ सारा में अपना पराया,
सबसे अपनापन हो जाए l
मैं जो करूँ औरों की खातिर,
मैं जो सोचूँ औरों की खातिर,
सारा जहान जब अपना लागे,
जीवन से प्रीति हो जाए l
क्या जीना अब खुद की खातिर,
चलना है मंजिल की खातिर,
भलाई के काम जग में करूँ तो,
ये जीवन सफल हो जाए,
आना जाना लगा यहाँ पे,
कब जाने यहाँ से चलना हो जाए l
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