इस दुनियाँ में कोई खुश,
नजर क्यूँ नही आ रहा,
इस दुनियाँ में कोई जीवन से खुश,
नजर क्यूँ नही आ रहा,
इस दुनियाँ में लोग महंगाई से परेशान हैं,
इस दुनियाँ में लोग औरों से परेशान हैं,
इस दुनियाँ में जीने में,
आनंद नजर क्यूँ नही आ रहा l
यहाँ कौन किसकी मुश्किल समझता है,
यहाँ कौन किसकी परेशानी समझता है,
जो खुद ही परेशान है,
वह औरों की परेशानी क्या समझेगा,
जो खुद ही मुश्किल मे है,
वह औरो की मुश्किल क्या समझेगा,
इस दुनियाँ से प्यार भी खोता जा रहा l
जब लोगों के मन खुदगर्जी से भरे हुए,
वे क्या किसी की मदद करेंगे,
जो खुद ही जग से डरे हुए,
अगर दिल खोल के कोई किसी की मदद करे,
तो जीवन भी सुंदर हो जाए और
दुनियाँ भी सुंदर हो जाए,
यूँ तो कहते हैं कि किस्मत खुद के हाथ है,
यूँ तो कहते हैं कि किस्मत खुदा के हाथ है,
पर बड़ा आश्चर्य है,
किसी की किस्मत कोई यहाँ लिख रहा l
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