तेरे सोचने से क्या कुछ होवे,
तेरे चाहने से क्या कुछ होवे,
जो कुछ इस किस्मत में लिखा है,
वो तो इस जिंदगी में होवे ।
तेरा मन लाख उडारी लगावे,
कभी ये सोचे, कभी वो सोचे,
जो तू देखे मन ललचाए,
क्या क्या तू पाना चाहे,
तू करता अपनी ही बातें,
कुछ बातें उसकी मर्जी से होवे ।
तेरा अपना कौन यहाँ पर,
या सब अपने या कोई अपना नही,
सच में जिंदगी बड़ी विचित्र,
सपने देखें, पर कब सच होवे,
तेरा तो व्यवहार गजब का,
पर औरों को कहाँ पसंद आवे ।
लाख सोचता है तू चाहे,
चाहे तू कुछ सोचे नही,
लाख रोकता मन ये चाहे,
फिर भी तू रुके नही,
खुशियाँ सारी तेरे लिये है,
पर खुशियाँ कहाँ मिल पावे ।
Aman
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