Saturday, December 24, 2022

मेरी हँसी कहाँ खो गई

मेरी हँसी कहाँ खो गई, 
मेरी खुशी कहाँ खो गई, 
क्या क्या ढूँढ रहा दुनियाँ में, 
मेरि जिंदगी कहाँ खो गई  । 

कुछ बात समझ नही आए, 
क्यूँ मन के फूल मुरझाए, 
कुछ सोच रहा है मन ये, 
कुछ समझ रहा है मन ये, 
मेरी मंजिल कहाँ खो गई  । 

मुश्किल है मन को समझाना, 
मुश्किल है दिल को समझाना, 
काहे को है ये उदासी, 
रूह लगता है जन्मों से प्यासी, 
अपनों से बातें करके, 
लगा चाहत पूरी हो गई  । 

जब जब ये मन मुस्काए, 
खुशियाँ इस जीवन में आए, 
किसी से गिला नही कोई शिकायत, 
प्रीत सी खुद से हो गई, 
मेरी हँसी मिल गई, 
मेरी खुशी मिल गई  । 

Aman



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