हम मालिक के बंदे हैं,
कोई भूलता है तो भूल जाए,
दुनियाँ की भूल-भूलैया में खो जाएँ,
ये जीवन उसका दिया हुआ,
यहाँ कौन भले और मंदे है ।
दुनियाँ में रहे कमल के फूल की तरह,
कीचड़ में उगे पर निर्लिप्त रहे,
दुनियाँ में रहे उस पंछी की तरह,
पानी में तैरे और जब जी चाहे उड़ जाए,
दुनियाँ में लेना-देना है,
प्रभुकृपा से सब चंगे है ।
किसको देखे बुरा यहाँ,
सब ईश्वर की संतान यहाँ,
किसको कहे बुरा-भला,
सबमें ईश्वर का नूर यहाँ,
सब पर उसके उपकार यहाँ,
वही सबके अपने हैं।
Aman
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