जिंदगी को मैं ना छोडूँ,
चाहे छोडूँ मैं सारे जहान को,
जीना है मुझको यहाँ,
इस धरती पे आसमान में,
नही किसी से मुझको राग द्वेष है,
मेरे मन में सबके लिए यहाँ प्रेम है,
छोड़ दिया है मैंने अपने अभिमान को l
मुझको रास्ते सारे, खुद ही तय करने हैं,
मुझको मंजिल अपनी, खुद ही तो पानी है,
मुझको अपने दिल को हल्का बड़ा रखना है,
मुझको अपने मन को खाली सा रखना है,
काम करूँगा मैं ऐसे, जो सुंदर बनाए इस जहान को l
अपनी ही दुनियाँ में, हम तो मगन रहते हैं,
अपने ही सपनो में, हम तो खोए रहते हैं,
फिकर और चिंता करके , भला क्या फायदा,
किसी के लिए कुछ करके जहान में,
सुकून मिले बड़ा यहाँ,
प्यार से स्वर्ग बनाएँगे इस जहान को l
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