कभी सोचे कि हम दुनियाँ में क्या करने आये थे, क्या करना चाहते थे और क्या करने लगे l हम कहाँ से चले थे, कहाँ पर हैं और हमें कहाँ जाना है l हमारी मंजिल कहाँ हैं या फिर हम अपना सफर बिना लक्ष्य के हैं , हम जीवन रूपी गाड़ी में बैठ तो गए हैं हमें पता भी है कि इस जीवन का सफर जल्दी ही खत्म हो जाएगा लेकिन हमें पता ही नही कि जब यह जीवन रूपी गाड़ी रुकेगी तो हम फिर कहाँ जाएगें l
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