मन काहे को तू उलझा फिरे,
मन जग मे क्यूँ तू उलझा फिरे,
इस जग मे किसको चैन मिला है,
इस जग मे किसको आराम मिला है,
मन काहे को तू मचला फिरे I
कुछ लोग तुझे अच्छा कहते हैं,
कुछ लोग तेरी कमियाँ निकाले,
कुछ लोग तेरे संग, रिश्ता समझे,
कुछ लोग रिश्ता तोड़ना चाहे,
मन कौन तेरी परवाह करे l
जीने के लिए खुशियाँ चाहिए,
पर कहाँ खुशी मिल पाती है,
जीने के लिए सुकून चाहिए,
पर चैन कहाँ मिल पाता है,
जिंदगी तेरी अपनी है तो, अमन,
क्यूँ औरो से सुख की आस करे l
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